वर्षों से विकास की राह देख रहा खेल का मैदान,बच्चों की है प्रसाशन से मांग
महेवा इटावा : उत्तर प्रदेश सरकार लगातार शहरों से लेकर गांव तक खेल जगत को बढ़ावा देने के लिए हर संभव प्रयास में लगी हुई है जिससे सरकार की मंशा है की शहरों के अलावा गांव के बच्चे भी खेल कूद का हिस्सा बने । महेवा ब्लॉक के अंतर्गत ग्राम पंचायत करवा बुजुर्ग के ग्राम परसुपुरा में कहने को तो दो – दो खेल के मैदान कागजों में हैं लेकिन धरातल पर बच्चों के खेलने के लिए एक भी मैदान लायक नही है, खेल के मैदान की जमीनों पर कब्जा और गोबर के बड़े बड़े ढेर और गंदगी का अंबार इस कदर पैर जमाए है जिससे गांव के बच्चे खेलने तक को मजबूर हैं ।
पिछली पांच वर्षीय के लास्ट समय में कायाकल्प के अनुसार परसुपुर गांव के एक खेल के मैदान में लाखों रुपए का मिट्टी का भराव भी करवाया गया था जिससे की गांव के बच्चे कहीं बाहर खेलने न जाएं और अपने गांव में बने खेल के मैदान में खेलकर आगे बढ़ें लेकिन उन लाखों रुपयों का आज कोई मोल नजर नहीं आ रहा और दोनों खेल के मैदानों की स्तिथि बद से बस्तर नजर आ रही है । जबकि परसुपुरा में दूसरा खेल का मैदान तो मानो ब्लुप्त सा हो गया हो जो की कागजों में तो है पर धरातल पर इसकी झलक नही दिख रही जानकारी के लिए बता दूं कि परसुपुरा गांव के कई युवा और 16 साल से भी कम उम्र के लड़के लड़कियां ब्लॉक से लेकर प्रदेश स्तर के खेलों में भाग लेते है जिससे उन्हें अभ्यास के लिए कई परेशानियों का सामना करना पड़ता है और खेल के मैदान पर कब्जाधारियों का डर हमेशा बना रहता है । गांव में खेल के मैदान में भरा गंदगी का अंबार आम लोगों के लिए भी बीमारियों की दावत में शामिल होने का निमंत्रण देता दिख रहा है
प्रदेश स्तरीय खेलों में भाग लेने वाले गांव के ही अंश कठेरिया(14) लगातार गांव के बच्चों के लिए प्रेरणा बनते जा रहे है परसुपुरा गांव के लगभग 1 दर्जन बच्चे ब्लॉक से लेकर प्रदेश तक खेलने की तैयारी कर रहे हैं परंतु उन्हें प्रेक्टिस के लिए काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है और गांव में ही दो दो खेल के मैदान होने पर भी बाहर तैयारी करने जाना पड़ता है ।
अंश कठेरिया बताते है की जब भी हम लोग बाहर से कही खेलकर आते है तो गांव में प्रेक्टिस करना बहुत अनिवार्य होता है परंतु गांव में ही बने खेल के मैदान का एक चौथाई हिस्सा भी हम लोगों को खेलने के नही मिल पाता है हालांकि जितना भी हिस्सा खाली मिलता है उतने में ही सभी छोटे खिलाड़ी जगह साफ कर प्रेक्टिस कर लेते है और प्रशासन से हमारी यही मांग है की यदि इस पूरे खेल के मैदान की बाउंड्री करवा दी जाए और साफ सफाई करवा दी जाए तो कई गांवों के बच्चे यहां सीखने आने लगें क्योंकि खेल का मैदान तो बहुत बड़ा है पर गन्दगी के कारण छोटा सा भी दिखाई नही देता ।