पुराने पुल पर फिलहाल बड़े वाहनों की आवाजाही नहीं होंगी शुरू
70 के दशक में बना यूपी- एमपी को जोड़ने वाला चंबल पुल
केंद्रीय सड़क एवं राजमार्ग मंत्रालय ( Union Ministry of Roads and Highways ) की ओर से चंबल नदी (Chambal River ) पर सिग्नेचर ब्रिज ( Signature Bridge ) बनाने की मंजूरी के साथ बजट भी स्वीकृत कर दिया गया है। जल्द ही 296 करोड़ रुपए की लागत से फोर लेन सिग्नेचर ब्रिज के निर्माण का कार्य शुरू होने की उम्मीद भी जताई जा रही है। वाइल्ड लाइफ सेंचुरी की एनओसी मिलते ही दोनों राज्यों के बीच स्तिथ महत्वपूर्ण पुल पर निर्माण कार्य शुरू हो जाएगा। इस साल 8 जून को चंबल पुल ( Chambal Bridge ) के पिलर छह व आठ के बीच प्लेट क्षतिग्रस्त हो जाने के बाद डीएम इटावा अवनीश राय के निर्देश पर यूपी एमपी ( Uttar Pradesh -Madhya Pradesh ) को जोड़ने वाला 800 मीटर लंबे चंबल नदी के पुल पर भारी वाहनों के आवागमन पर पूर्णता रोक लगाने के निर्देश दिए गए थे। जिसके बाद से इस पुल से अवैध ओवरलोड परिवहन करने वाले सिंडिकेट को बड़ा झटका लगा था। यही वजह है कि लगातार इटावा जिले ( Etawah District ) के अधिकारियों को इस पुल को भारी वाहनों को संचालित करने का दवाब किसी न किसी रूप में दिया जा रहा है। जिले के अधिकारियों के मुताबिक एमपीडीआरसी की ओर से इस पुल का भौतिक सत्यापन भी उनकी ओर से निजी कंपनी के द्वारा करवाकर अधिकारियों और उच्च स्तर पर इसकी पॉजिटिव रिपोर्ट भेजकर इस पुल को भारी वाहनों को शुरू करवाने की हर कोशिश की जा रही है। लेकिन इटावा जिले ( Etawah District ) के संबधित अधिकारी इस रिस्क को किसी कीमत पर स्वीकार करने को तैयार नही है। हालांकि एमपीडीआरसी की मांग पर यूपी शासन की ओर से कुछ नियम शर्त दिए गए है। अगर उस शर्त और निर्देश पर भारी वाहनों का संचालन करवाना चाहता है तो करवाए। लेकिन नियम शर्त के चलते एमपीडीआरसी का कोई जवाब नही मिला है। इसलिए अब इस पुल पर भारी वाहनों का आवागमन होने की उम्मीद न के बराबर है।

अधिकारी बोले- एनओसी मिलते ही शुरू होगा कामकाज
उदी ( Udi Etawah ) राष्ट्रीय मार्ग खंड अधिशाषी लोक निर्माण विभाग अभियंता मुकेश ठाकुर ने बताया कि इस पुल पर सिर्फ भारी वाहनों के आवागमन पर जून माह में कमेटी की रिपोर्ट के आधार पर रोक लगाई गई है। शासन से नए फोरलेन पुल और यमुना नदी पुल से पहले कानपुर बाईपास तक फोरलेन बनने का बजट विभाग को मिल चुका है। टैंडर प्रक्रिया पूरी हो चुकी है। सिर्फ चंबल सेंचुरी की एनओसी का इंतजार है। नवंबर तक एनओसी मिलने की संभावना है। जिसके बाद पुल निर्माण का कार्य शुरू हो जाएगा। हालाकि पुराने क्षतिग्रस्त पुल पर छोटे वाहनों का आवागमन लगातार जारी है।

खनन माफियाओं के सिंडिकेट का खामियाजा भुगत रहीं जनता
उदी। राहगीरों का कहना है कि बड़े वाहनों का संचालन न होने से मोटरसाइकिल से पुल पर आ और जा रहे है। इस चंबल नदी के पुल को क्षतिग्रस्त करने में सबसे बड़ा हाथ अवैध ओवर लोडिंग परिवहन सिंडिकेट का है। अगर इस पुल से ओवरलोड परिवहन नही होता तो शायद यह पुल 50 वर्ष और अधिक चलता लेकिन भिंड पुलिस प्रशासन की नाक के नीचे और इटावा खनिज विभाग मिली भगत से अवैध मौरंग जोकि सिंधु नदी से खनन करके ओवरलोड परिवहन होता रहा और इस पुल की हालत जर्जर होती चली गई। अब समस्या आम जनता को उठानी पड़ रही है। अभी भी सिंधु नदी को खोखला करने वाले माफिया इसी क्षतिग्रस्त पुल को शुरू करवाने की जोर आजमाइश में जुटे है।

फिलहाल हैवी ट्रेफिक शुरू नहीं कराना चाहता जिला प्रशासन
उदी। जिले में 70 के दशक में यूपी-एमपी को जोड़ने वाले चंबल नदी के पुल पर भारी वाहनों का आवागमन शुरू होने की चर्चाओं पर फिलहाल विराम लगता दिख रहा है। अधिकारियों के मुताबिक नए ब्रिज के निर्माण के बाद ही भारी वाहनों का आवागमन होने की संभावना है। इटावा जिला प्रशासन द्वारा जनहानि रोकने के लिए चंबल पुल पर भारी वाहनों पर प्रतिबंध लगाया गया था। पुल बार-बार क्षतिग्रस्त होने के कारण जिला प्रशासन ने समीक्षा कर भारी और ओवरलोड़ से जुड़े हुए वाहनों पर रोक लगा रखी है। हालांकि एमपीआरडीसी के द्वारा चंबल पुल की ब्रिज क्वालिटी एंड कैपेसिटी मशीन से टेस्टिंग कराई गई थी। जिसके मुताबिक यह पुल भारी वाहनों के लिए अभी भी वह मुफीद मान रहे है।एमपीडीआरसी और पीएनसी टोल के संचालक किसी भी सूरत में इसी क्षतिग्रस्त चंबल नदी पुल को अपने अनुरूप शुरू करवाने के लिए कोई कसर बाकी नहीं छोड़ रहे हैं।
