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सुविधाओं से वंचित बच्चे, आश्वासनों में उलझा शिक्षा तंत्र
बजट की बाट जोहता जारपुरा स्कूल: टूटी बाउंड्री, जर्जर शौचालय और पेयजल संकट
सुविधाओं से वंचित बच्चे, आश्वासनों में उलझा शिक्षा तंत्र
भरथना। शिक्षा के अधिकार की बातें तो बहुत होती हैं, लेकिन ज़मीनी हकीकत कुछ और ही बयां करती है। भरथना तहसील क्षेत्र के जारपुरा गाँव का पूर्व माध्यमिक विद्यालय इस समय बदहाली की मार झेल रहा है। विद्यालय की हालत देखकर यह कहना गलत नहीं होगा कि यहाँ बच्चों को शिक्षा नहीं, बल्कि समस्याओं से जूझना सिखाया जा रहा है।
टूटी बाउंड्री के साथ विद्यालय, रोज़ का संकट बने आवारा पशु
स्कूल की सुरक्षा व्यवस्था पूरी तरह से चरमरा चुकी है। विद्यालय की बाउंड्री दीवार करीब डेढ़ साल से टूटी पड़ी है। जिससे आवारा पशु परिसर में बेरोक-टोक घुस आते हैं तथा शिक्षक और छात्रों के लिए संकट खड़ा कर देते हैं। स्कूल की बाउंड्री चारो तरफ से जर जर है. 170 मीटर लम्बी विद्यालय की इस बाउंड्री तथा गेट का निर्माण वित्तीय वर्ष 2019 -20 में ग्रामीण अभियन्त्र्ण विभाग प्रखंड इटावा संस्था द्वारा 5.78 लाख रुपये की लागत से किया गया था जो कि अब पूरी तरह से जर्जर हो चुकी है.
बंद पड़ा समर्सिबल, हैंडपंप ही एकमात्र सहारा
विद्यालय में पीने के पानी की स्थिति भी चिंताजनक है। समर्सिबल पंप लंबे समय से खराब पड़ा है और उसकी मरम्मत की दिशा में कोई प्रयास नहीं किया गया है। वर्तमान में परिसर में लगा एकमात्र हैंडपंप ही छात्रों और शिक्षकों की प्यास बुझाने का साधन है, जो कि गर्मियों में भारी दबाव में आकर कभी भी जवाब दे सकता है। साफ पेयजल की अनुपलब्धता बच्चों के स्वास्थ्य के लिए भी खतरे की घंटी है।
शौचालय निर्माण अधर में, खुले सेप्टिक टैंक में गिरने का खतरा
शौचालय जैसी मूलभूत सुविधा भी इस विद्यालय से कोसों दूर है। चार महीने पहले शुरू हुआ शौचालय निर्माण कार्य अब पूरी तरह ठप पड़ा है। अधूरे निर्माण के बीच खुले पड़े सेप्टिक टैंक हादसे को आमंत्रण दे रहे हैं। विद्यालय के पुराने शौचालय करीब छह महीने पहले एक पेड़ गिरने से क्षतिग्रस्त हो गए थे, लेकिन अब तक उनकी मरम्मत नहीं की गई।
गंदगी और बिखरी निर्माण सामग्री से बढ़ा जोखिम
विद्यालय परिसर में साफ-सफाई का घोर अभाव है। चारों ओर गंदगी फैली हुई है। अधूरे निर्माण के कारण ईंट, मोरंग और गिट्टी के ढेर खुले में पड़े हैं, जिससे बच्चों को चोट लगने का खतरा बना रहता है। यह दृश्य विद्यालय को शिक्षा का मंदिर नहीं, बल्कि उपेक्षा का प्रतीक बनाता है।
हर्बल पार्क भी बना उपेक्षा का शिकार
विद्यालय परिसर में छात्रों की जागरूकता और पर्यावरण संरक्षण के उद्देश्य से बनाया गया हर्बल पार्क भी उपेक्षा की धूल फाँक रहा है। समय पर देखरेख और संरक्षण न मिलने के कारण वहां लगाए गए औषधीय पौधे या तो सूख चुके हैं या कूड़े-कचरे में दबे पड़े हैं। कभी शिक्षाप्रद पहल माने जाने वाला यह पार्क अब उपेक्षा की मिसाल बनकर रह गया है।
प्रशासन को कई बार अवगत कराने के बावजूद समाधान नहीं
विद्यालय के प्रधानाध्यापक पियूष कुमार ने बताया कि वे कई बार विभागीय अधिकारियों को विद्यालय की स्थिति से अवगत करा चुके हैं, लेकिन आज तक कोई समाधान नहीं निकाला गया। समस्या ज्यों की त्यों बनी हुई है। कई बार शिकायत करने के बाबजूद भी कोई समाधान नही हुआ है.
ग्राम प्रधान बोले—बजट नहीं, पैसे आए तो करेंगे कार्य
जब इस मुद्दे पर ग्राम प्रधान सुमित कुमार से बात की गई तो उन्होंने कहा कि “विद्यालय की समस्याएँ हमें ज्ञात हैं, लेकिन अभी बजट नहीं है। जैसे ही बजट आता है, मरम्मत, शौचालय निर्माण और अन्य आवश्यक कार्य पूरे कराए जाएंगे।”
जरूरत है त्वरित कार्यवाही की
जारपुरा का यह विद्यालय उन तमाम सरकारी दावों की पोल खोलता है, जिसमें शिक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता देने की बातें की जाती हैं। यदि समय रहते विद्यालय की समस्याओं पर ध्यान नहीं दिया गया, तो यह बच्चों के भविष्य के साथ बड़ा अन्याय होगा। अब देखना यह है कि शासन-प्रशासन कब जागता है और कब जारपुरा के बच्चों को एक सुरक्षित व स्वच्छ शैक्षणिक वातावरण मिल पाता है।
फोटो- अधूरे पड़े शौचालय तथा हैंडपम्प को दिखाते प्रधानाध्यापक पीयूष कुमार